शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

महाभारत बड़ा और विस्तृत ग्रंथ

महाभारत को लेकर हमेशा लोगों में कई तरह की जिज्ञासाएं रही हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में यह सबसे बड़ा और विस्तृत ग्रंथ है। इस कहानी में वेदों और उपनिषदों का सारा ज्ञान मौजूद है, इसलिए इसे पांचवा वेद भी कहा जाता है। महाभारत महर्षि वेद व्यास की रचना है। वे इस कथा के रचनाकार भी हैं और खुद इस कथा में एक पात्र भी है। वेद व्यास का असली नाम कृष्णद्वैपायन व्यास था।इस ग्रंथ में ज्ञान का अथाह भंडार है। चारों वेद, अठारह पुराण, 108 उपनिषद और शेष धर्म सूत्रों का ज्ञान भी अकेले इस ग्रंथ में है।

इसमें मौजूद ज्ञान के भंडार के बारे में खुद वेद व्यास ने महाभारत में लिखा है कि - यन्नेहास्ति न कुत्रचित। यानी जिस विषय की चर्चा इस ग्रंथ में नहीं की गई है, उसकी चर्चा अन्य कहीं भी उपलब्ध नहीं है इसीलिए महाभारत को पांचवा वेद कहा गया है। अठारह अध्यायों (पर्वों) में लिखे गए इस ग्रंथ में कुल एक लाख श्लोक हैं। इसी कारण इसे शतसाहस्त्री संहिता भी कहते हैं। इस ग्रंथ के नायक भगवान श्रीकृष्ण हैं। महाभारत में अठारह पर्व क्रमश: आदिपर्व, सभापर्व, वनपर्व, विराटपर्व, उद्योगपर्व, भीष्मपर्व, द्रोणपर्व, कर्णपर्व, शल्यपर्व, सौप्तिकपर्व, स्त्रीपर्व, शांतिपर्व, अनुशासनपर्व, अश्वमेधिकपर्व, आश्रमवासिकपर्व, मौसलपर्व, महाप्रास्थानिकपर्व तथा स्वर्गारोहणपर्व है।
महाभारत शुरु से ही भारतीय जनमानस की रुचि का विषय रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारे इस कॉलम (शास्त्रों की सीख) में अब से हर दिन महाभारत से जुड़ी घटनाएं व रोचक जानकारियां दी जाएंगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें