रविवार, 20 फ़रवरी 2011

ये हैं कलियुग के अंत के संकेत!

हिन्दू धर्म शास्त्रों में चार युग बताए गए हैं। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग। इनमें से पहले तीन युगों में ईश्वर ने अलग-अलग अवतारों में दुष्ट शक्तियों का अंत किया। क्योंकि धार्मिक मान्यता है कि जब-जब धर्म का नाश होता है या बुरी शक्तियां हावी होकर जगत के दु:खों का कारण बनती है, तो भगवान स्वयं अवतार लेकर उसका अंत करते हैं और युग परिवर्तन होता है।
वर्तमान समय कलियुग माना गया है। कलियुग में भी भगवान विष्णु के होने वाले दसवें अवतार की मान्यता है। वहीं लोक मान्यताओं में भी प्रलय काल की धारणाएं भी प्रचलित है। धार्मिक और वैज्ञानिक काल गणनाओं से परे हटकर अगर यह सोचें तो यह समय कब आएगा या कितना नजदीक है? यह बताना कठिन है। पर शास्त्रों में ही इंसान के व्यावहारिक जीवन से जुड़े कुछ ऐसे संकेत बताए गए हैं, जो कलियुग की पहचान ही नहीं बल्कि अधर्म और बुराईयों के बढऩे से होने वाले ईश्वर अवतार और युग के अंत के संदेश भी है।

जानते हैं कैसे हैं यह संकेत -

- संत यानि सज्जन, धर्म आचरण या अच्छे लोग बुराईयों के हावी होने से दु:खी रहेंगे।
- असंत यानि धर्म विरोधी, दुर्जन या बुरे लोग शौक-मौज और विलासिता से जीवन बिताएंगे। जिसके लिए वह सज्जन लोगों को कष्ट देंगे।
- परायों से दोस्ती और अपनों से बैर - लोगों पर सुख-सुविधाओं की चाहत में पैदा हुए स्वार्थ या हित इतने हावी होंगे कि उनमें भावना और संवेदना न रहेंगी। जिससे वह अपनों के विरोधी होकर परायों से प्रीत या मित्रता रखेंगे।
- पुत्र की आयु घटेगी और पिता दीर्घायु - विचार, व्यवहार, संस्कार, मर्यादा और जीवन मूल्यों के पतन से बिगड़ी जीवनशैली संभवत: पिता को अपने सामने ही पुत्र की मृत्यु देखने पर विवश करेगी।

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