श्री गणेश प्रथम पूजनीय देवता है। क्योंकि माना जाता है कि वह विघ्र और संकट नाशक है। हर व्यक्ति किसी भी कार्य की शुरूआत अच्छी होने के साथ बेहतर नतीजों की कामना करता है। यही कारण है कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले भगवान श्री गणेश के ध्यान की धार्मिक परंपरा है।
शास्त्रों में ऐसी मंगल कामनाओं की पूर्ति के लिये भगवान श्री गणेश के 12 नामों और उनके प्रभाव से कार्य विशेष की बाधा दूर करने का महत्व बताया गया है। बुधवार, चतुर्थी या गणेश जन्मोत्सव जैसे खास अवसरों पर इन नाम मंत्रो का ध्यान बहुत ही शुभ फल देता है।
शास्त्रों के मुताबिक विद्या आरंभ, प्रवेश, नगर से बाहर जाने, संग्राम और संकट के समय इन नाम मंत्रों का ध्यान बहुत ही शुभ है।
जानते हैं शास्त्रों में बताए भगवान श्री गणेश के ये 12 नाम -
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक:।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्रनाशो विनायक:।।
धुम्रेकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:।
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणुयादपि।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्रस्तस्य न जायते।।
शास्त्रों में ऐसी मंगल कामनाओं की पूर्ति के लिये भगवान श्री गणेश के 12 नामों और उनके प्रभाव से कार्य विशेष की बाधा दूर करने का महत्व बताया गया है। बुधवार, चतुर्थी या गणेश जन्मोत्सव जैसे खास अवसरों पर इन नाम मंत्रो का ध्यान बहुत ही शुभ फल देता है।
शास्त्रों के मुताबिक विद्या आरंभ, प्रवेश, नगर से बाहर जाने, संग्राम और संकट के समय इन नाम मंत्रों का ध्यान बहुत ही शुभ है।
जानते हैं शास्त्रों में बताए भगवान श्री गणेश के ये 12 नाम -
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक:।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्रनाशो विनायक:।।
धुम्रेकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:।
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणुयादपि।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्रस्तस्य न जायते।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें