शुक्रवार, 4 मार्च 2011

दूल्हे को देख सारी महिलाएं डर गईं क्योंकि...

अब शिवजी की बारात पार्वती के यहां आ पहुंची। चारों तरफ खुशी का माहौल था। पार्वती की माता आरती की थाली लेकर आईं। सभी महिलाएं मंगलगीत गा रही थीं। जैसे ही उन्होंने दूल्हे को देखा सभी महिलाएं डर गईं। वे सभी डर के कारण वह से भागकर घर में आ गईं। शिवजी का जहां जनवासा था। वे वहां चले गए। यह देखकर पार्वती की मां को बहुत दुख हुआ।

उन्होंने पार्वती को अपने पास बुलाया। उनसे कहने लगीं विधाता ने तुमको कितना सुन्दर रुप दिया है। उसने तुम्हारे दूल्हे को बावला कैसे बना दिया। जो फल कल्पवृक्ष में लगाना चाहिए वो बबुल में क्यों लगाया? मैं तुम्हें लेकर समुद्र में कुद जाऊंगी। चाहे इससे संसार में हमारी बदनामी हो लेकिन मैं इससे तुम्हारा विवाह नहीं करूंगी। मैना को देखकर सभी महिलाएं व्याकुल हो गईं। वे कहने लगी मैंने नारद का क्या बिगाड़ा था। जिनके कहने पर तुमने इस बावले के लिए तप किया।
नारद को ना तो किसी का मोह है, ना माया। इसलिए वो एक मां के दर्द को क्या जाने? अपनी मां को परेशान देखकर पार्वती बोली जो मेरे भाग्य में ऐसे पति लिखें हैं तो उसमें किसी का क्या दोष। इधर यह बात मालूम होते ही हिमाचल सप्तऋषि के साथ घर पहुंचे। तब परिस्थिति को समझते हुए नारद जी ने सभी को पार्वती के पूर्व जन्म की कहानी सुनाई। उन्होंने सभी को बताया कि माता पार्वती साक्षात जगदम्बा का रूप है। तब नारद की बात सुनकर मैना के मन को शांति हुई। उसके बाद विवाह की सभी रस्में निभाना फिर से शुरू की गईं।

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