शुक्रवार, 4 मार्च 2011

क्यों वेष बदला कृष्ण, अर्जुन और भीम ने?

जरासंध की कहानी सुनने के बाद श्री कृष्ण ने कहा जरासंध के नाश का समय आ गया है। लेकिन आमने-सामने की लड़ाई में तो उसको हराना बहुत कठीन है। इसलिए उससे सिर्फ कुश्ती लड़कर ही जीता जा सकता है। जब एकांत में हम तीनों की उससे मुलाकात होगी तो वह जरूर ही किसी ना किसी से युद्ध करना स्वीकार कर लेगा।
कृष्ण की बातें सुनकर भीम और अर्जुन और युधिष्ठिर तीनों उनसे सहमत हो गए। युधिष्ठिर ने कहा कृष्ण आपकी बोली गई हर एक बात सच है क्योंकि आप जिसके पक्ष में होते हैं उसकी जीत निश्चित होती है। उसके बाद युधिष्ठिर सें आज्ञा लेकर तीनों मगध की ओर निकल पड़े। मगध पहुंचते ही उन्होंने वह कि बुर्ज को नष्ट कर दिया और फिर नगर में प्रवेश किया। उन दिनों मगध में बहुत अपशकुन हो रहे थे। इसलिए पुरोहित की सलाह पर जरासंध हाथी पर पूरे नगर की परिक्रमा करने निकले।
उसी समय उससे बांह युद्ध करने के उद्देश्य से कृष्ण, अर्जुन और भीम तीनों ने नगर में प्रवेश किया। जरासंध उन्हें देखते ही खड़ा हो गया और उसने उनका स्वागत किया। लेकिन कुछ ही क्षणों बाद वह उनके आचरण और कंधे पर शस्त्रों के निशान देखकर समझ गया कि वे कोई ब्राह्मण नहीं हैं। उसने तीनों का तिरस्कार करते हुए पूछा तुम लोग कौन हो? इतने निडर होकर वेष बदलकर और बुर्ज तोड़कर नगर में प्रवेश करने के पीछे तुम्हारा क्या उद्देश्य है।

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