बुधवार, 9 मार्च 2011

ऐसा था पार्वती की बिदाई का दृश्य...


जब पार्वती की बिदाई का समय आया। तब उनकी माता व्याकुल हो गई। उनकी परेशानी समझकर शिव ने अपनी सास को बहुत समझाया। फिर पार्वती की माता ने उनसे कहा शिवजी के चरणों की हमेशा पूजा करना औरतों का यही धर्म है। इस तरह पार्वती को समझाते हुए उसकी आंखों में आंसु आ गए। उन्होंने पार्वती को गले लगा लिया। इस तरह सबसे मिलकर पार्वती ससुराल चली। सभी ने उन्हें योग्य आर्शीवाद दिया।
इस तरह शिव व पार्वती सभी से विदा लेकर कैलाश को चल दिए। सभी देवताओं ने फूलों की वर्षा की और आकाश में नगाड़े बजने लगे। उसके बाद शिवजी कैलाश पर्वत पर पहुंचे और सभी देवता अपने-अपने लोक चलें। शिव-पार्वती हर तरह का सुख भोगते हुए कैलाश पर रहने लगे। समय बीतता गया तब उनके पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ। जिसने तारकासुर का वध किया। शिवजी के चरित्र का वर्णन करने के बाद भारद्वाज जी बहुत खुश हुए।शिवजी के समान रामजी की भक्ति करने वाला कौन है। जिन्होंने बिना ही पाप के सती जैसी स्त्री का त्याग कर दिया। ऐसा करके उन्होंने राम के प्रति अपनी भक्ति दिखा दी।

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