रविवार, 3 अप्रैल 2011

सुख-समृद्धि के लिए करें यह पूजन

चैत्रमास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नव संवत्सर का आरंभ होता है। यह अत्यंत पवित्र तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया था।
चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेहनि।
शुक्लपक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति।।
इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी और उसे चिरस्थाई बनाने के लिए विक्रम संवत का प्रारंभ किया था। इस बार हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ 4 अप्रैल, सोमवार से हो रहा है। इस दिन विशेष पूजन भी किया जाता है।

पूजन विधि

इस दिन सुबह नित्य कर्म करके तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गंध, चावल, फूल, व जल लेकर देश काल के उच्चारण के साथ यह संकल्प लें-
मम सकुटुम्बस्य सपरिवारस्य स्वजनपरिजनसहितस्य वा आयुरारोग्यैश्वर्यादिसकलशुफलोत्तरोत्तराभिवृद्यर्थ ब्रह्मादिसंवत्सरदेवतानां पूजनमहं करिष्ये।
ऐसा संकल्प कर नई चौरस चौकी या बालू की वेदी पर साफ सफेड़ कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे चावल से अष्टदलकमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित करें। गणेश-अंबिका पूजन के बाद ऊँ ब्रह्मणे नम: मंत्र से ब्रह्माजी का आवाह्न व षोडपोचार पूजन करें। इसके बाद ब्रह्माजी से यह प्रार्थना करें-
भगवंस्त्वत्प्रसादेन वर्षं क्षेममिहास्तु मे।
संवत्सरोपसर्गा मे विलयं यान्त्वशेषत:।।
पूजन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करें।
यह भी करें
इस दिन पंचांग सुनें व पंचांग दान करें। प्याऊ बनवाएं, नए वस्त्र पहनें, घर को सजाएं। नीम के पत्ते व फूलों का चूर्ण बनाकर उसमें काली मिर्च, नमक, हींग, जीरा, मिस्त्री और अजवाइन डालकर खाएं। इससे रक्त से संबंधित बीमारियां नहीं होंगी।

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