सोमवार, 9 मई 2011

रामजी को देखकर सब मोहित हो गए जब...

रामजी और लक्ष्मणजी मुनि के साथ चले। वे वहां गए, जहां जगत को पवित्र करने वाली गंगाजी थी। महाराज गाधि के पुत्र विश्चामित्र जी ने वह सब कथा कह सुनाई। जिस तरह गंगा पृथ्वी पर आई थी। उसके बाद ऋषियों ने स्नान किया। फिर विश्वामित्र के साथ वे खुश होकर जनकपुरी के निकट पहुंचे।
रामजी ने जब जनकपुरी की शोभा देखी। तब वे छोटे भाई लक्ष्मण सहित बहुत खुश हुए। नगर की सुन्दरता देखते हीं बनती थी। राजा जनक का महल बहुत सुन्दर और ऐश्वर्यमय है। आमों के बाग सहज ही सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करते है। विश्वामित्र राम और लक्ष्मण सहित जनक के दरबार में पहुंचे।
राजा जनक ने उनका बहुत स्वागत किया और उनके चरणों मे झुककर उन्हें प्रणाम किया। विश्वामित्रजी ने खुश होकर आर्शीवाद दिया। उसी समय दोनों भाई आ पहुंचे। जो फुलवाड़ी देखने गए थे। रामजी व लक्ष्मणजी को देखकर सभी सुखी हो गई। राजा सभी को एक सुन्दर महल में ले गए और वहां ठहराया। हर तरह के आदर-सत्कार के बाद वे अपने महल को चले गए। उसके बाद लक्ष्मण जी ने रामजी से कहा कि भैया हम जनकपुरी देखना चाहते हैं।
रामजी की इच्छा भी कुछ ऐसी थी लेकिन वे विश्चामित्रजी से पूछने में सकुचाते हैं। रामजी ने छोटे भाई की मन की बात समझ ली। तब रामजी ने विश्वामित्रजी से पूछा कि लक्ष्मण नगर देखना चाहते हैं क्या मैं उन्हें नगर दिखाकर ले आऊं। तब विश्वामित्र जी से आज्ञा लेने के बाद दोनों भाई जनकपुरी देखने के लिए निकल पड़े। रामजी जब जनकपुरी देखने के लिए गए तब सभी जनकपुरवासी उन पर मोहित हो गए।
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