सोमवार, 9 मई 2011

सुखी और सफल दाम्पत्य जीवन

सुखी जीवन के कई सूत्र होते हैं। वर्तमान में देखने को मिलता है कि शादी के बाद पति पत्नी एक दूसरे को समय नहीं दे पाते नतीजा ये होता है कि एक दूसरे में तकरार और शिकायतें जन्म लेने लगती हैं। रिश्ता बनने से पहले ही बिखरने लगता है इसलिए अगर दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाना है तो सबसे ज्यादा जरूरी है एक दूसरे के साथ रहना। तभी वे एक दूसरे की भावनाओं को अच्छे से समझ पाते हैं क्यों कि एक दूसरे को समझे बिना शादीशुदा जीवन की खुशी महसूस करना मुश्किल होता है।
इसका एक उदाहरण हमें रामायण में देखने को मिलता है। राजतिलक के समय जब माता कैकई ने राम के लिए राजा दशरथ से वनवास मांग लिया तब रामजी ने सीता से कहा कि तुम महल में रहो और मेरी प्रतीक्षा करो। लेकिन सीता जी तो श्रीराम के साथ जाना चाहती थी राम ने सीता जी को बहुत समझाया कि तुम एक राजकुमारी हो राजमहल में पली बडी हो तुम वन के वातारण को नहीं सह पाओगी। सीता जी ने राम से कहा कि एक पत्नी के लिए सबसे बड़ा सुख होता है पति का सानिध्य और यही उसका सबसे बड़ा कर्तव्य भी होता है। इसलिए मैं आपके साथ रहना चाहती हूं फिर चाहे वो महल हो या वन। सुख में तो सारा संसार आपके साथ है लेकिन में हर दु:ख और तकलीफ में भी आपके साथ रह सकती हूं, यही तो मेरा सबसे अलग और बड़ा सौभाग्य है।
सीता जी की यह बात सुनकर श्री राम उन्हें अपने साथ वन में ले गए और चौदह सालों तक वन में एक दूसरे के साथ रहकर हर कष्ट सहते हुए जीवन व्यतीत किया।
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