शुक्रवार, 13 मई 2011

शनि देव को मनाने के लिए मंदिर में जूते क्यों छोड़ दिए जाते हैं?

कई लोग शनि मंदिरों में जूते छोड़ जाते हैं और इसे शुभ माना जाता है। आखिर शनिवार को जूते छोड़ जाने से क्या लाभ होता है? क्यों ऐसा माना जाता है कि चमड़े के जूते छोड़ जाएं तो सारी परेशानी उसके साथ चली जाती हैं? वास्तव में यह मान्यता ज्योतिषीय आधार पर प्रचलित है। ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर और कठोर न्यायप्रिय ग्रह माना गया है। शनि जब किसी के विपरित होता है तो उस व्यक्ति को जी-तोड़ मेहनत के बाद भी फल थोड़ा ही मिलता है। जिसकी कुंडली में साढ़े साती, ढैया हो, या जिसकी राशि में शनि अच्छे स्थान पर न हो, उसे यह खास परेशानी होती है।
शनिवार शनि का दिन माना जाता है। हमारे शरीर के अंग भी ग्रहों से प्रभावित होते हैं। त्वचा (चमड़ी) और पैर में शनि का वास माना जाता है, इनसे संबंधित चीजें शनि के लिए दान की जाती हैं और इनकी बीमारियां भी शनि से संबंधित होती हैं। चमड़ा और पैर दोनों ही शनि से प्रभावित होते हैं, इस कारण चमड़े के जूते अगर शनिवार को चोरी हो जाएं तो मानना चाहिए कि हमारी परेशानी कम होने जा रही हैं। शनि अब ज्यादा परेशान नहीं करेगा। कई लोग इसी कारण से शनिवार को शनि मंदिरों में जूते भी छोड़कर आते हैं ताकि शनि उनके कष्ट कम कर दें।

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