शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

ऐसी भक्ति में डूबने से ही मिलती है भरपूर देव कृपा!

ईश्वरीय सत्ता को मानने वाले हर धर्मावलंबी के लिए ईश्वर से जुडऩे के लिए ज्ञान और कर्म के अलावा एक ओर आसान उपाय बताया गया है। यह तरीका है - भक्ति। भक्ति का मार्ग न केवल ज्ञान और कर्म की तुलना में आसान माना गया है, बल्कि भक्ति के जो रूप बताए गए हैं, वह व्यावहारिक जीवन में अपनाना हर उस इंसान के लिए संभव है, जो देव कृपा से जीवन में सुख और शांति की कामना रखता है।
हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगदगीता में लिखी बात भक्ति के नौ रूप उजागर करती है -
श्रवणं कीर्तनं विष्णों: स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्य्रमात्मनिवेदनम्।।

इसमें भगवान विष्णु की भक्ति के नौ रूप श्रवण यानी सुनकर, कीर्तन, स्मरण, चरणसेवा, पूजन-अर्चन, वन्दना, दास भाव, सखा भाव और समर्पण भाव को बहुत ही शुभ बताया गया है।
यही नहीं भक्ति के इन नो रास्तों से जिन भक्तों ने भगवान की कृपा पाई, उनके नाम भी धर्मग्रंथों में मिलते हैं। जानते है उन 9 विलक्षण और महान भक्तों के नाम उनके द्वारा अपनाए भक्ति मार्ग के साथ -

श्रवण - राजा परीक्षित
कीर्तन - श्री शुकदेवजी
स्मरण - भक्त प्रह्लाद
चरण सेवा - देवी लक्ष्मी
पूजन-अर्चन - राजा पृथु
वन्दना - अक्रूरजी
दास - श्री हनुमान
सखा या मित्र भाव - अर्जुन
समर्पण - राजा बलि
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