शनिवार, 9 जुलाई 2011

बुरे समय के लिए रामबाण साबित हो सकता है 'घास'

साढ़ेसाती या ढैय्या, ज्योतिष में इनका काफी अधिक महत्व माना गया है। इनका संबंध सबसे क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि से है। साढ़ेसाती और ढैय्या यह अवधि है। साढ़ेसाती यानि साढ़े सात साल और ढैय्या का अर्थ है ढाई साल। शनि एक राशि में ढाई साल रुकता है और एक राशि को वह साढ़ेसात प्रभावित करता है।

शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में व्यक्ति को उसके कर्मों का अच्छा या बुरा फल प्रदान करता है। शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है इसी वजह से इसे क्रूर ग्रह माना जाता है। हमारे द्वारा जाने-अनजाने के किए बुरे कर्मों का बुरा फल शनि जरूर प्रदान करता है।
कई बार शनि का न्याय इतना अधिक कष्ट देने वाला होता है कि व्यक्ति का जीना मुश्किल हो जाता है। इन कष्टों से बचने के लिए शनि की आराधना सटीक उपाय है। शनि को मनाने के लिए प्रति शनिवार किसी काली गाय को हरी घास खिलाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार गाय को माता का दर्जा प्राप्त है और इनकी पूजा व सेवा करने से सभी देवी-देवताओं की कृपा होती है। कुंडली के सभी दोषों का प्रभाव कम हो जाता है। इसी वजह से प्रति शनिवार काली गाय की सेवा करनी चाहिए।

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