मंगलवार, 5 जुलाई 2011

राक्षस समुद्र में छुप जाया करते क्योंकि...

वत्रासुर के मारे जाने से सभी देवता और महर्षियों को बहुत प्रसन्न हुए। वे इन्द्र की स्तुति करने लगे। इसके पश्चात उन्होंने वृत्रासुर के वध से दुखी: के सारे दैत्यो ने मरना प्रारंभ किया। तब वे सभी डरे हुए राक्षस समुद्र की गहराई में जाकर छूप गए। वहंा से बहुत व्याकुल होकर आपस में सभी लोकों को कैसे नष्ट किया जाए। वो सभी राक्षस ये मिलकर सोचने लगे। वे रात के समय बाहर आकर समुद्र के आसपास निवास करने वाले सभी ऋषियों को खा जाया करते थे। फिर जाकर समुद्र में छूप जाया करते थे। धीरे-धीरे उनका आतंक बढऩे लगा। पूरी पृथ्वी पर उनकी हड्डियां दिखाई देने लगी। जब इस तरह संसार का संहार होने लगा और यज्ञ समारोह नष्ट होने लगे।

सभी देवताओं को जब इस बात से चिंता होने लगी तो वे इन्द्र के पास पहुंचे। उसके बाद इन्द्र के नेतृत्व में सभी देवता विष्णुजी के पास पहुंचे। सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। देवताओं कि प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने कहा कालकेय नाम के दैत्यों का एक दल है। वे सब वत्रासुर के आश्रय में रहते थे। वत्रासुर के वध के बाद वे समुद्र की गहराई में रहने लगे। अब तुम्हे समुद्र सोखने के उपाय सोचने होंगे। तुम किसी तरह अगस्त्य ऋषि को इस काम के लिए तैयार कर लो। तब सभी देवता अगस्त्य मुनि के पास पहुंचे।

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