सोमवार, 25 जुलाई 2011

जानिए कैसे थे पांच सबसे अनमोल रत्न!!

हीरे, मोती, नग, माणिक....जाने कितने ही प्रकार के बेशकीमती रत्न इस धरती पर पाए जाते हैं। कोहेनूर हीरे से लेकर, सूर्य और चंद्र मणियों तक जाने कितने ही बहुमूल्य रत्नों के नाम लिये जाते हैं। लेकिन कुछ रत्न ऐसे होते हैं जिनको दुनिया के सबसे कीमती यानी अनमोल रत्न कहा जा सकता है।
क्या आप जानते हैं कि दुनिया के सबसे ज्यादा कीमती रत्न कौन से हैं? आइये चलते हैं एक बड़ी प्यारी कथा की ओर जो रत्नों की कीमत की परिभाषा ही बदल देगी....
बहुत पुरानी मगर वास्तविक घटना है, महर्षि कपिल रोज गंगा नदी में नहाने के लिये जाते थे। जिस रास्ते से वे जाते उसमें एक बूढ़ी महिला का घर आता था। वह बूढ़ी विधवा ब्राह्मणी या तो चरखा कातती मिलती या ईश्वर के ध्यान में डूबी हुई। उस वृद्ध विधवा को देखकर महर्षि कपिल को एक दिन उस पर दया आ गई।
वे उसके पास पहुंच कर बोले- '' बहिन! मैं इस आश्रम का कुलपति हूं। मेरे कई शिष्य राजा और उसके परिवार के हैं। अगर तुम कहो तो में राजा से कहकर तुम्हारी आर्थिक मदद करवा दूं। तुम्हारी यह कठोर गरीबी मुझसे देखी नहीं जाती।'' विधवा ब्राह्मणी ने महर्षि का बड़ा आभार माना और बोली- '' देव! आपका हार्दिक धन्यवाद , पर आपने मुझे पहचानने में भूल की है। क्योंकि न तो मैं गरीब-दरिद्र हूं और न ही बेसहारा हूं। मेरे पास 5 ऐसे रत्न हैं जिनके बल पर मैं चाहूं तो राजाओं से भी बढ़कर वैभव-विलास खड़ा कर सकती हूं।'' कपिल मुनि ने बड़े ही आश्चर्य से पूछा- '' भद्रे! कहां हैं वे पांच रत्न, क्या मैं उनको देख सकता हूं?''
ब्राह्मणी ने कपिल मुनि को बड़े आदर-सम्मान के साथ आसन पर बैठाया। ....इतनी ही देर में पांच सुन्दर, स्वस्थ, विनम्र बच्चे घर में आए। पहले माँ को प्रणाम किया एवं कपिल मुनि को पहचान कर साष्टांग प्रणाम किया। बेहद साधारण कपड़ों में भी वे सद्गुणों के तेज के कारण राजकुमारों से भी बढ़कर लग रहे थे। गुरुकुल से लोटे उन पांचों बालकों के गुण पारखी कपिल ने बगैर बताए ही जान लिये।
महर्षि ने ब्राह्मणी को प्रणाम करते हुए कहा- ''भद्रे! तुमने सच कहा था तुम्हारे पास बेश कीमती अनमोल रत्न हैं, जिस घर में ऐसे ऐसे गुणवान और संस्कारी बच्चे होंगे वहां दरिद्रता और असहायता हो ही कैसे सकते हैं। तुम्हारे योग्य बच्चे चाहें तो कुछ ही समय में धन-समृद्धि और वैभव के पहाड़ खड़े कर सकते हैं।''

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